चमोली

सैन्य सम्मान के साथ 12 गढ़वाल राइफल्स में तैनात हवलदार वीरेन्द्र सिंह को दी अंतिम विदाई।

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नवीन चन्दोला-देवाल(चमोली)

आज शुक्रवार को सैन्य सम्मान के साथ चौड़ गांव निवासी 35 वर्षीेय हवलदार वीरेन्द्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई, हवलदार वीरेन्द्र सिंह 12वीं गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे, वर्तमान में उनकी तैनाती लैंसडाउन में थी,दो दिन पहले ही वह यूनिट से दस दिन की छुट्टी लेकर गांव पहुंचे थे।

बताया जा रहा है कि बुधवार की शाम को वह गांव से वापस अपने घर लौट रहे थे, इसी दौरान उनका पैर फिसल गया और वह खाई में गिर गए, गिरने से उनके सिर पर गंभीर चोट आई, गांव के अन्य लोग उन्हें तत्काल उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली ला रहे थे, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

इस अनहोनी की खबर सुनकर पूरा गांव ही नहीं बल्कि पूरा क्षेत्र सन्न रह गया, इस तरह की अनहोनी घटित होने के कारण बीते दिन गांव के बहुत कम लोग वोट करने गए, मतदान स्थल पर भी सन्नाटा पसरा रहा।

सेना के जवान वीरेन्द्र सिंह कोटड़ी को आज शुक्रवार को गमगीन माहौल में अंतिम विदाई दी गई,इससे पहले सेना की टुकड़ी चौड़ गांव स्थित उनके पैतृक आवास पहुंची और जवान के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र चढ़ाकर तथा मातमी धुन बजाकर अपने साथी जवान को अंतिम सलामी दी, इस मौके पर 6 ग्रेनेडियर रुद्रप्रयाग से,1 अफसर मेजर, 2 जेसीओ सहित 20 जवान 2 सैन्य वाहनों से उनका पार्थिव शरीर लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

इस दौरान हर किसी शख्स की आंख नम हुई, परिजनों का रो—रोकर बुरा हाल है, गांव के पैतृक शमशान घाट बोरागाड़ पर हवलदार वीरेंद्र सिंह कोटड़ी की सैन्य सम्मान के साथ अत्येष्टि हुई।

हवलदार वीरेन्द्र सिंह कोटड़ी अपने पीछे अपने पिता भजन सिंह, मां पार्वती देवी के साथ पत्नी रेखा देवी और दस वर्षीय बेटा प्रतीक व बेटी पलक को छोड़ गए, उनके दोनों बच्चे जुड़वां हैं, अपने पिता की असामयिक मौत की खबर सुनकर बच्चे सन्न हैं, वहीं हवलदार वीरेन्द्र सिंह की मां पार्वती देवी और पत्नी रेखा देवी का रो—रोकर बुरा हाल है,बीच—बीच में वह गम में बेहोश हो रही हैं, गांव के लोग उन्हें सांत्वना दिला रहे हैं,कुल मिलाकर सेना के जवान की अचानक इस तरह जिदंगी से जंग हारने से हर कोई कोई सन्न है, पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है, जिस घर में पिछले कई दिन से चुनावी कौतूहल बना हुआ था, वहां घर के हर कोने में अब अंधेरा सा पसरा हुआ है।

परिवार वालों को भरोसा नहीं हो रहा है कि उनका जो लाडला बेटा छुट्टी लेकर घर आया हुआ था, वह अब उनके बीच नहीं रहा।

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