भागवत कथा जीवन की मार्ग दर्शक: आचार्य भट्ट
त्रिपुरेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब,भजन संध्या में मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु

तिलवाड़ा/ रूद्रप्रयाग। मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित प्राचीन सिद्धपीठ त्रिपुरेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। कथा वाचक वेदाचार्य देवी प्रसाद भट्ट ने भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं ध्रुव चरित्र का भावपूर्ण वर्णन कर श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
कथा के दौरान आचार्य भट्ट ने कहा, “भागवत कथा केवल धर्मग्रंथ नहीं, यह जीवन जीने की एक कला है। यह मनुष्य को आत्मचिंतन, वैराग्य और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती है।” उन्होंने बताया कि जब जीवन में भक्ति का भाव जागता है, तो वह ईश्वर की कृपा का संकेत होता है। भागवत कथा ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो सात दिनों में जीवन को मोक्ष की दिशा में मोड़ने की शक्ति रखता है।
उन्होंने श्रोताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि कथा का वास्तविक लाभ तभी है जब हम इसे अपने जीवन में उतारें और परोपकार के कार्य करें। यह कथा आत्मकल्याण के साथ-साथ लोककल्याण का भी मार्ग है।
भक्ति संध्या में भजन गायकों की सुमधुर प्रस्तुतियों ने वातावरण को भावविभोर कर दिया। सुमाड़ी गांव की महिलाओं द्वारा प्रस्तुत भजनों ने भी विशेष सराहना पाई।
इस अवसर पर महंत शंकर गिरी, माई संतोषगिरी, अरुण चमोली, राकेश सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।