देहरादून

दुखद खबर : उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार घन्ना भाई (घनानंद) का निधन, मुख्यमंत्री सहित कई संगठनों ने किया शोक व्यक्त

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देहरादून: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक कलाकार और हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई का देहरादून में निधन हो गया। वह महंत इंद्रेश अस्पताल में भर्ती थे और कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हुआ। घन्ना भाई चार दिनों से वेंटिलेटर पर थे। अस्पताल प्रबंधन ने उनके निधन की पुष्टि की है।

चार दिन से वेंटिलेटर पर है हास्य कलाकार घन्ना भाई

आवाज सुनो पहाड़ों की कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक बलबीर सिंह पंवार और संयोजक नरेंद्र रौथाण की माने तो घन्ना भाई को पहले पेसमेकर लगाया गया था। जिसके बाद से ही वो हॉस्पिटल में नियमित तौर पर ह्रदय संबंधी जांच करवाने जा रहे थे। बता दें कि कुछ समय पहले यूरिन में उन्हें ब्लड आ रहा था। चेकअप के लिए वो अस्पताल पहुंचे। इस दौरान खून चढ़ाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी।

कई गढ़वाली फिल्मों और म्यूजिक एलबम में किया अभिनय

आपको बता दें कि घन्ना भाई ने कई गढ़वाली फिल्मों और म्यूजिक एलबम में अभिनय किया है। राजनीति में भी घन्ना भाई अपना हाथ आजमा चुके है। साल 2012 में भाजपा के टिकट पर उन्होंने पौड़ी से विधानसभा से चुनाव भी लड़ा था।

1953 में पौड़ी गढ़वाल के गगोड़ गांव में हुआ था जन्म

घनानंद का जन्म 1953 में पौड़ी जिले के गगोड़ गांव में हुआ था। उनकी शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन, जिला पौड़ी गढ़वाल से हुई। घनानंद ने अपने करियर की शुरुआत 1970 में रामलीलाओं और नाटकों से की थी। इसके बाद उन्होंने हास्य कलाकार के रूप में अपनी पहचान बनानी शुरू की।

रंगमंच और मीडिया में लंबे करियर की शुरुआत

1974 में घनानंद ने रेडियो से अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर दूरदर्शन पर भी कई कार्यक्रमों का हिस्सा बने। उनका हास्य अभिनय न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत में पहचाना जाता था।

हास्य अभिनय से दिलों में बस गए घन्ना भाई

घनानंद का अभिनय न केवल हास्य का प्रतीक था, बल्कि उनकी भूमिका में गहरी समझ और लोकजीवन की सच्चाई को दर्शाने की खासियत थी। उनका योगदान उत्तराखंड के रंगमंच और लोक कला में अनमोल रहेगा।

लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली

घनानंद ने लंबे समय तक बीमारी से जूझते हुए आखिरकार देहरादून के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन से उत्तराखंड के कला जगत को गहरी क्षति पहुंची है।घन्ना भाई का निधन उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक बड़ा नुकसान है, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

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