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उत्तराखंड के सख्त नकल विरोधी कानून के तहत उत्तराखण्ड पुलिस की बड़ी कार्रवाई

नकल माफिया हाकम सिंह व उसके सहयोगी को पुलिस ने किया गिरफ्तार

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देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग देहरादून द्वारा विभिन्न विभागों की स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कराई जा रही है।

परीक्षा के दौरान असामाजिक तत्वों के सक्रिय होने तथा उनके द्वारा अभ्यर्थियों को परीक्षा में पास कराने का प्रलोभन देकर अपने झांसे में लिए जाने की संभावना के दृष्टिगत पुलिस तथा एसटीएफ उत्तराखंड द्वारा पूर्व से ही संदिग्ध व्यक्तियों पर सतर्क दृष्टि रखी जा रही थी।

इस दौरान संयुक्त पुलिस टीम को 02 दिन पूर्व गोपनीय रूप से सूचना प्राप्त हुई कि उक्त परीक्षा के लिए कुछ लोगों द्वारा गिरोह बनाकर अभ्यर्थियों को धोखा देने की नीयत से उन्हें परीक्षा में पास करने का प्रलोभन देकर मोटी धनराशि की मांग की जा रही है।

उक्त सूचना पर देहरादून पुलिस तथा एसटीएफ की संयुक्त टीम द्वारा गोपनीय रूप से जांच/सर्विलांस के माध्यम से जानकारी एकत्रित की गई तो जांच के दौरान पकंज गौड़ नाम के एक अभ्यर्थी का हाकम सिंह के संपर्क में होने की जानकारी प्राप्त हुई तथा उक्त व्यक्ति के द्वारा अभ्यर्थियों से संपर्क कर उन्हें परीक्षा में पास कराने के एवज में 12 से 15 लाख रुपए की मांग की जा रही थी।

गोपनीय जांच के आधार पर पुलिस टीम द्वारा अभियुक्तो के संबंध में जानकारी एकत्रित करते हुए 02 अभियुक्तों 1- हाकम सिंह पुत्र केदार सिंह निवासी ग्राम निवाड़ी पोस्ट बैटरी थाना मोरी जनपद उत्तरकाशी उम्र 42 वर्ष तथा 2- पंकज गौड़ पुत्र केशवानंद गौड़ निवासी ग्राम कंडारी ब्लॉक नौगांव राजस्व थाना कंडारी बड़कोट उत्तरकाशी उम्र 32 वर्ष को पटेल नगर क्षेत्र से हिरासत में लिया गया।

जिनके विरुद्ध कोतवाली पटेल नगर में उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनांे की रोकथाम एवं रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत निरीक्षक मुकेश त्यागी प्रभारी एस0ओ0जी0 द्वारा अभियोग पंजीकृत कराया जा रहा है।

अभियुक्तों से पूछताछ में पुलिस टीम को जानकारी प्राप्त हुई कि उक्त अभियुक्तों द्वारा अभ्यर्थियों को धोखा देने की नीयत से परीक्षा में पास कराने का प्रलोभन देकर उक्त पैसों की मांग की गयी थी, यदि परीक्षार्थियों का उक्त परीक्षाओं में चयन स्वतः हो जाता तो अभियुक्तों द्वारा उक्त पैसे को अपने पास स्वयं रख लिया जाता तथा अभ्यार्थियों का चयन न होने की दशा में अभियुक्तो द्वारा उक्त पैसे को आगे की परीक्षाओं में एडजस्ट करने के नाम उन्हें अपने झांसे में लेने की योजना थी।

*संपूर्ण प्रकरण की जांच में उक्त परीक्षा की सुचिता व गोपनीयता भंग होने को लेकर किसी प्रकार का कोई संशय नहीं है।*

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